आदिवासी मुरकूटडोह में 3 वर्ष से स्कूल को लगे है तालेस्वास्थ्य सेवा के साथ शिक्षा भी हो रही दूर

आदिवासी मुरकूटडोह मंे 3 वर्ष से स्कूल को लगे है ताले
स्वास्थ्य सेवा के साथ शिक्षा भी हो रही दूर
सारस एक्सप्रेस । गोंदिया
शिक्षा से कोई भी वंचित न रहे इस उद्देश्य को लेकर शासन ने शिक्षा का अधिकार कानून तैयार किया है। लेकिन गोंदिया जिले के अतिसंवेदनशील नक्सलग्रस्त क्षेत्र सालेकसा तहसील के मुरकूटडोह मंे पिछले 3 वर्षो से स्कूलों को ताले लगे है। स्वास्थ्य सेवा के साथ-साथ अब शिक्षा भी यहां के आदिवासियो के लिए दूर होती जा रही है। मजबुरन यहां के आदिवासियो को अपने पाल्यो को आश्रम स्कूलो में दाखिला देना पड़ रहा है। सबसे बड़ी दिक्कत उन अभिभावको को होती है जिनके पाल्य 6 वर्ष के होते है क्योंकि उन्हंे न तो कपड़े धोना और ना ही अपने स्वास्थ्य की देखभाल करना आता है। 
गौरतलब है कि सालेकसा तहसील के मुरकूटडोह 1, मुरकूटडोह 2 व मुरकूटडोह 3 यह तीनो ग्राम छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र के सीमा पर बसे हुए है। जहां पर शत प्रतिशत आदिवासी समाज निवास करते है। जिनकी ग्राम की भाषा गोंडी आदिवासी व हिंदी है। शासन ने यहां के आदिवासियो के विद्यार्थियांे को शिक्षा का पाठ पढाने के लिए प्राथमिक हिंदी पाठशाला संचालित की है। लेकिन ग्रामीणो का कहना है कि इन स्कूलो मंे शिक्षको की कमी तथा आदिवासी नक्सलग्रस्त गांव होने से शिक्षक आने से कतराते है। यही एक कारण है कि विद्यार्थियों को समय पर शिक्षा का पाठ पढाया नही जाता और मजबुरन स्कूलो को विद्यार्थियांे के अभाव में बंद रखना पड़ता है। पिछले 3 वर्षो से स्कूल को ताले लगे हुए है। स्कूल बंद रहने से मजबुरन यहां के आदिवासियो को अपने छोटे-छोटे पाल्यो को अपनो से दूर कर आश्रम स्कूल तथा अन्य दूसरे दूर के ग्रामों में शिक्षा का पाठ पढ़ाने के लिए भेज दिया जाता है। छोटे पाल्य होने से न उन्हें नहाने एवं कपड़े धोने की समझ नहीं होती ना ही उन्हंे स्वास्थ्य के प्रति कोई समझ होती है। ग्रामीणो का कहना है कि नियमित शिक्षक स्कूल आकर विद्यार्थियो को शिक्षा का पाठ पढाए ताकि हमारे पाल्य गांव मंे ही शिक्षा ग्रहण कर सके। किस तरह से शिक्षा का बंटाढार हो रहा है, यह प्रत्यक्ष रूप से अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियो ने इस ग्राम को भेंट देकर देखना चाहिए।  

      स्कूल शुरू करने का प्रयास
इस संदर्भ मंे जानकारी ली गई तो बताया गया कि विद्यार्थियों की पटसंख्या कम होने से स्कूल बंद है। जल्द ही इस ग्राम मंे भेंट देकर विद्यार्थियो की संख्या एकत्रित कर स्कूल शुरू करने का प्रयास किया जाएगा। 
डा.महेंद्र गजभिए, शिक्षाधिकारी (प्रायमरी),  जिप, गांेदिया