*कलाम को सलाम*
*पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर विशेष*
27 जुलाई, 2015 को आईआईएम शिलांग में छात्रों को लेक्चर देते समय कलाम को दिल का दौरा पड़ा और हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गए. आज उनकी पुण्यतिथि पर जानके कलाम की संघर्ष भरी ज़िंदगी के बारे में.
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तमिलनाडु के रामेश्वरम में 1931 में जन्में. बचपन बेहद गरीबी में बिताया, पिता मामूली मछुआरे थे. परिवार पेट भर पाना भी मुश्किल था. इतनी गरीबी में रहने के बावजूद शुरू से ही पढ़ने की लगन थी. ये अपने परिवार में 4 भाई-एक बहन में सबसे छोटे थे. लेकिन ज़िंदगी में इतनी परेशानियां देखने के बावजूद हिम्मत नहीं हारे, पढ़ते गए और आगे बढ़ते गए फिर कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति बने.
जब छोटे थे तो पढ़ाई का ख़्वाब आंखों में सजाए, खेल खिलौनो की उम्र में पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए अखबार बेचे. 8 साल की उम्र में सुबह 4 बजे उठते, रोज़ के काम के बाद, मैथ्स पढ़ने जाते. ट्यूशन से लौटकर, रामेशवरम रेलवे और पास के बस स्टेशन पर अख़बार बेचते. फिर एक दिन ज़िंदगी में वो मुकाम पाया कि आज तक अखबारों की सुर्खियों में रहते हैं.
जब कलाम पांचवीं क्लास में थे तो एक दिन टीचर ने बच्चों से पूछा पक्षी कैसे उड़ पाते हैं. कोई भी बच्चा जवाब नहीं दे सका. अगले दिन टीचर बच्चों को बीच पर ले गए. वहां उन्होंने बच्चों को पक्षी दिखाए, उनके उड़ने की वजह , पक्षियों के शरीर का सट्रक्चर समझाया. सब बच्चे तो टीचर की बात सुन रहे थे, लेकिन कलाम कुछ कर गुजरने के ख्वाब बुन ररे थे. इसी दिन भविष्य में में जाने का ठानी. आगे चलकर मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.
कलाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जाने-माने वैज्ञानिक और इंजीनियर के रूप में प्रसिद्ध हुए. लगभग चार दशकों तक, वैज्ञानिक और विज्ञान के प्रशासक के रूप में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की देखभाल की. बैलिस्टिक मिसाइलों और vehicle technology के विकास के लिए भारत में 'मिसाइल मैन' की उपाधि से सम्मानित हुए. ‘अग्नि की उड़ान’ भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की आत्मकथा है
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