27 वर्ष बाद वर्ग मित्रो का मिलन हुआ गुरूजनो के साथ*

*27 वर्ष बाद कक्षा मित्रो का मिलन हुआ गुरूजनो के साथ* 

 *गुरूजनो का माझी विद्यार्थियो ने सत्कार कर लिया आशिर्वाद* 

 *सारस न्यूज़ एक्सप्रेस गोंदिया* 
स्कूल की दोस्ती तो दोस्ती ही होती है। स्कूल छोडने के बाद हर कोई अलग-अलग जिम्मेदारियो में व्यस्त हो जाता है। इस व्यस्त काम से समय निकालकर अपने पुराने कक्षा मित्रो से मिलने का एक दिन तय हुआ। रामकृष्ण विद्यालय के 1995 के कक्षा 10वीं की बैच के सभी पुर्व छात्र 27 वर्षो के लंबे अंतराल के बाद 27 अगस्त को एक साथ एकत्रित हुए और अपनी कक्षाओं में बैठकर यादो को ताजा किया। इस अवसर पर पुर्व छात्रो ने अपने गुरूजनो को आमंत्रित कर सेवानिवृत्ति पर उनका सत्कार करते हुए उनसे आशिर्वाद लिया। यह क्षण इतना भावुक था कि पुर्व छात्र व गुरूजन जब एक-दुसरे के साथ उसी कक्षा में मिले जो 27 वर्ष पुर्व उस कक्षा में शिक्षा ग्रहण रहे थे उस समय का दृश्य आंखो के सामने आ गया। इस दौरान कुछ छात्रो के आंखों में खुशी के आंसू भी दिखाई दिए। 
गोरेगांव तहसील के कुरहाडी में संचालित रामकृष्ण कनिष्ठ महाविद्यालय को क्षेत्र मंे एक आदर्श शाला के नाम से पहचाना जाता है। 1995 के कक्षा 10वीं में अध्ययनरत पुर्व छात्रो ने निर्णय लिया की सभी कक्षा मित्रो को एक साथ लाकर अपने गुरूजनो व कक्षा मित्रो का सम्मेलन आयोजित किया जाए। इस निर्णय के तहत पुर्व छात्रो ने वाट्सअप ग्रुप तैयार कर 1995 के सभी कक्षा मित्रो को एकत्रित किया गया और 27 वर्षो के बाद 27 अगस्त को ही रामकृष्ण विद्यालय के उसी कक्षा में सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमे गुरूजनो का सेवानिवृत्ति पर सत्कार कार्यक्रम लिया गया। इस सम्मेलन में गडचिरोली, नागपुर सहित विभिन्न जिले के कक्षा मित्र शामिल हुए। इसके अलावा विदेश में निवास करने वाले मित्रो ने भी सम्मेलन में वीडियो कॉलिंग के माध्यम से हिस्सा लिया। जब पुर्व छात्र व गुरूजनो का मिलन हुआ तो 27 वर्ष पुर्व की यादे फिर से ताजा हो गई। इस दौरान पुर्व प्राचार्य दुर्गाप्रसाद मानकर, प्राचार्य शोभा राणे, सेवानिवृत्त शिक्षक डिगाराम डिब्बे, डी.एम.राउत, बाबुलाल मेंढे, गणपत लांजेवार, इसुलाल सोनवाने, सी.एच.बिसेन, चिंतामन बघेले, केवलराम निर्विकार, नारायणदास निमावत, प्रभाकर ढोमने, भैयालाल पाचे, सुधाकर फाये का शाल, श्रीफल व मोमेंटों देकर सत्कार किया गया।  इस अवसर पर पुर्व छात्र शैलेष नंदेश्वर, आनंद पटले, भरत घासले, पंकज खरवड़े, पुरूषोत्तम अंबुले, थवेंद्र दिहारी, ईश्वर हुकरे, दिनेश येरणे, रामु पारधी, रंजीत शहारे, दुर्गाप्रसाद चौधरी, ओमप्रकाश डिब्बे, प्रमोद रहांगडाले, अमीर सैयद, चौकलाल वाढवे, नानेश्वर कटरे, हनिफ सैयद, बालचंद बघेले, लिकेश रहांगडाले, वामन पटले, सत्यभामा पटले, माहेश्वरी नेवारे, दीपमाला कटरे, प्रेरणा सोनवाने, गुणवंता पारधी, रेखा हरिणखेडे, दिनेश्वरी हरिणखेडे, डुलेश्वरी बोपचे, गुणवंता पारधी, नितु हुकरे, जितेंद्र रहांगडाले, रशिला येरणे, नसीर सैयद आदि उपस्थित थे।
 *बैंड बाजे से गुरुजनों का स्वागत
 गुरु अगर योग्य हो तो शिष्यों के मन में उनके प्रति क्या भावनाएं होती है इसका उदाहरण गोरेगांव तहसील के ग्राम कुराडी में संचालित रामकृष्ण विद्यालय में 27 अगस्त को देखने को मिला। कक्षा दसवीं 1995 की बैच के माझी विद्यार्थियों ने 27 वर्ष बाद अपने सेवानिवृत्त गुरुजनों का सत्कार  सम्मेलन का कार्यक्रम आयोजित किया था। जिसमें आमंत्रित गुरुजनों का स्वागत बैंड बाजे की धुन के साथ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत्त प्राचार्य दुर्गाप्रसाद मानकर ने की तो प्रमुख अतिथी के रूप में उपप्राचार्य गेंदालाल उकरे सर रहे। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगीत के साथ दीप प्रज्वलन कर मां सरस्वती तथा सावित्रीबाई फुले इनकी प्रतिमा का पूजन कर की गई।
 *पद्म पुरस्कार से भी बड़ा पुरस्कार
जितना प्रेम मैंने आज देखा है उतना सम्मान मैंने अपने जीवन काल में नहीं देखा। शिष्यों का स्नेह देखकर मुझे हृदय से आनंद प्राप्त हुआ। 27 वर्ष बाद भी शिष्यों ने हमें अपने दिल में रखा है ।और हमारा जो सत्कार किया है यह सत्कार किसी पद्म पुरस्कार  से कम नहीं है। आज जो शिष्यों का हमें प्रेम मिला है यही हमारी संपत्तिऔर गुरुदक्षिणा है। इस तरह की बात सत्कारमूर्ति प्राचार्य शोभा  राने (येडे)  मैडम इन्होंने सत्कार समारोह के दौरान की। उन्होंने आगे कहा कि मैं आज जिस कार्यक्रम  में उपस्थित हूं आज मुझे वो दृश्य दिखाई दे रहा है जो 27 वर्ष पूर्व मैं अपने विद्यार्थियों को इसी कक्षा में शिक्षा का पाठ पढ़ा रही हूं। 
            *मैं भाग्यशाली हूं*
 मैं कितना भाग्यशाली हूं कि आप जैसे शिष्य मुझे मिले हैं। मैंने किसी अखबार में पड़ा था कि पूर्व कक्षा मित्रों ने अपने सेवानिवृत् शिक्षकों के साथ 25 वर्ष के बाद सम्मेलन का कार्यक्रम आयोजित किया था। पढ़कर मुझे ऐसा लग रहा था कि काश मेरे भी विद्यार्थी इस तरह का आयोजन करें तो कितना आनंद आयेगा।और मेरी इच्छा आपने पुरी की। मैं अपने आप को भाग्यशाली समझता हूं इस तरह की बात सेवानिवृत प्राचार्य दुर्गा प्रसाद मानकर ने अपने अध्यक्ष  भाषण में शिष्यों को संबोधित करते हुए कहा है। इस दौरान सभी सेवानिवृत गुरुजनों ने अपने शिष्यों को मार्गदर्शन कर 27 वर्ष पूर्व के पलों को याद किया।
... *और शरीर हो गया युवा
 सेवानिवृत्ति प्राध्यापक गुरुवर्य डी बी राऊत सर कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे हैं ।लेकिन 27 वर्षों बाद उनके शिष्यों ने सत्कार व पूर्व कक्षा मित्रों का सम्मेलन आयोजित कर कार्यक्रम की पत्रिका उनके समक्ष प्रस्तुत की तो वे हृदय से प्रफुल्लित हो गए। और आयोजित कार्यक्रम में नहीं आने की स्थिति में भी वे शरीर में जोश भरकर कार्यक्रम में पहुंच गए। उन्होंने अपने शिष्यों को अल्प शब्दों में मार्गदर्शन कर आशीर्वाद दिया। इस दौरान में काफी खुश दिखाई दिए ऐसा लग रहा था कि उनके शरीर में 27 वर्ष पूर्व का जोश भर आया हो।
 *यादों को जीवित रखने के लिए           पौंधा रोपण* 
गुरु व शिष्यों के इस सुखद पल को याद रखने के लिए सेवानिवृत शिक्षक व माझी विद्यार्थियों ने शाला परिसर में विभिन्न प्रजाति के देसी पौधों का रोपण किया । जिसके संवर्धन की जिम्मेदारी शाला प्रबंधन ने ली। जब यह पौधे वृक्ष में तब्दील होंगे तब गुरु व शिष्यों की छाया साथ-साथ जीवित रहेगी। और यही वृक्ष अनंत काल तक गुरु शिष्यों की यादों को जीवित रखेंगे ।
 भरत घासले
 प्रधान संपादक:
 सारस न्यूज़ एक्सप्रेस