सारस न्यूज़ एक्सप्रेस
गोंदिया जिले में मलेरिया के मरीज अधिक पाए जाते है इसलिए इस जिले को किटकजन्य बीमारी में संवेदनशील जिले के रूप में जाना जाता है। जानलेवा मलेरिया, डंेगू व हाथी रोेग के किटक व मच्छरो का खात्मा करने के लिए गोंदिया जिला स्वास्थ्य विभाग ने गप्पी मछलियां छोड़ने का अभियान छेड़ दिया है। मंगलवार 31 अक्टूबर को जिला परिषद के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी गांव-गांव पहुंचकर ग्राम की नालियो में संग्रहित पानी में गप्पी मछलियां छोड़ दी है। अब यह मछलियां पानी में पैदा होने वाले डेंगू, मलेरिया, हाथी रोग के किटक व मच्छरो को अपना निवाला बनाएगी। जिससे मच्छरो की पैदावार पर नियंत्रण पाया जाएगा। गोरेगांव तहसील के सोनी स्वास्थ्य केंद्र के तहत तहसील स्वास्थ्य अधिकारी डा.चव्हान, वैद्यकीय अधिकारी एस.डी.चांदेकर, डा.हरबंेद्रसिंह, डा.आयुष नामदेव के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य पर्यवेक्षक आर.एस.मेश्राम, स्वास्थ्य सेवक पी.डब्ल्यु.गढे, एच.एस.नान्हे, एस.एस.आंधडे, औषध निर्माण अधिकारी कुमुद बावनकर, स्वास्थ्य सेविका ए.पी.सोनवाने, परिचर एस.ठाकरे तथा स्वास्थ्य कर्मचारियो ने ग्राम के विभिन्न स्थानो पर जाकर गप्पी मछलियांे को छोड़ा।
बता दंे कि गांेदिया जिले से सटकर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ राज्य बसा हुआ है। वहीं गढचिरोली, चंद्रपुर जिला भी सटा हुआ है। जिले में सबसे अधिक धान की फसल होती है। वहीं जहां ग्राम वहां तालाब पाए जाते है। इसलिए जिले को धान व तालाबाे का जिला भी कहा जाता है। तालाब अधिक होने से वर्ष भर जिले में पानी बहता रहता है। ग्रामो की नालियांे में गंदा पानी भी हमेशा संग्रहित देखा जाता है। जिस वजह से इन संग्रहित पानी में जानलेवा मलेरिया, डेंगू, हाथीरोग के किटक व मच्छरो की पैदावार बड़े पैमाने पर होती है। यही एक वजह है कि इस संग्रहित पानी में पैदा होने वाले मच्छरो से मलेरिया, डंेगू जैसी बीमारी उत्पन्न हाेती है। गांेदिया जिले में मलेरिया, डंेगू के मरीज अधिक पाए जाते है। इन मच्छरो को नष्ट करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा दवा का छिड़काव तथा अन्य उपाय योजना का उपयोग कर नियंत्रण मंे लाने का प्रयास किया जाता है। अब स्वास्थ्य विभाग ने एक अभियान छेड़कर इन मच्छरांे पर नियंत्रण पाने के लिए गप्पी मछलियां पानी में छोड़ने का काम शुरू कर दिया है। मंगलवार 31 अक्टूबर को जिले के सैकड़ो स्वास्थ्य विभाग के कर्मियांे की टीम गांव-गांव पहुंचकर नाली के गंदे पानी में तथा अन्य संग्रहित पानी में गप्पी मछलियां छोड़ रहे है। यह मछलियां पानी में पैदा होने वाले मच्छर व किटको को अपना निवाला बनाएगी। जिससे मच्छरांे की पैदावार कम हो जाएगी।
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