मुंबई में दो-दो दशहरा रैली, शिंदे गुट की रैली में पहुंचे बाला साहब के बेटे जयदेव ठाकरे
मुंबई में दो-दो दशहरा रैली की लेकर सुरक्षा के विशेष इंतजाम किये गये हैं। पुलिस के मुताबिक दोनों रैलियों के लिए 3,200 अधिकारियों, 15,200 जवानों, 1,500 गार्ड, 20 क्विक रिस्पॉन्स टीम और 15 बम डिटेक्शन और डिस्पोजल स्क्वॉड को तैनात किया गया है।
मुंबई में दो-दो दशहरा रैली, शिंदे गुट की रैली में पहुंचे बाला साहब के बेटे जयदेव ठाकरे
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके गुट के नेता, बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के मैदान में शिवसेना दशहरा रैली में शामिल हुए। शिंदे ने बालासाहेब ठाकरे की कुर्सी पर श्रद्धांजलि दी। 51 फीट की तलवार की 'शस्त्र पूजा' के लिए उत्तर प्रदेश के अयोध्या से एक महंत को बुलाया गया। आपको बता दें कि दशहरा के मौके पर मुंबई में दशहरे के दिन'असली शिवसेना किसकी?' इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश हो रही है। मुंबई में पहली बार दशहरा के मौके पर शिवसेना की दो रैलियां आयोजित की गई हैं। उद्धव ठाकरे गुट, शिवाजी पार्क में दशहरा रैली का आयोजन कर रहा है, तो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का गुट बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में रैली कर रहा है।
उनकी दशहरा रैली के दौरान बालासाहेब ठाकरे के बेटे जयदेव ठाकरे अपना समर्थन दिखाने आए और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ मंच साझा किया।
*शिवाजी पार्क में उद्धव ठाकरे की रैली*
शिवसेना अपनी स्थापना के समय से ही यानी 1966 से ही शिवाजी पार्क में दशहरा रैली का आयोजन करती रही है। इस बार ये टकराव का मुद्दा बन गया था कि शिवाजी पार्क में किस गुट को रैली करने का अधिकार मिले। मामला कोर्ट तक जा पहुंचा। आखिरकार शिंदे गुट ने कदम पीछे खींच लिए, और शिवाजी पार्क में ठाकरे गुट ही दशहरा रैली कर रहा है।
वर्तमान में शिवसेना के 55 में से 40 विधायक और पार्टी के 18 सांसदों में से 12 शिंदे गुट में हैं। यही वजह है कि एकनाथ शिंदे गुट असली शिवसेना होने का दावा कर रहा है। वहीं उद्धव ठाकरे अपने पिता के नाम पर पार्टी और निशान पर अधिकार का दावा कर रहे हैं।
शिवसेना पार्टी के चिह्न को लेकर उठा विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। 27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने उद्धव ठाकरे की अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि शिवसेना के नाम और निशान पर अधिकार को लेकर फैसला निर्वाचन आयोग करेगा। अब दोनों की पक्ष ज्यादा भीड़ जुटाकर साबित करने में लगे हैं कि असली शिवसेना उन्हीं की है, क्योंकि जनता उनके साथ है।
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