गोंदिया जिले को धान के कटोरे के अलावा तालाबो का जिला भी कहा जाता है क्योंकि ऐसा कोई गांव नहीं जहां पर तालाब ना हो। लेकिन उचित मरम्मत तथा देखभाल नहीं होने के कारण मामा तालाबो का अस्तित्व खतरे में आ गया है। जिसे देखते हुए शासन ने हाल ही में एक योजना तैयार की है जिसमे मामा तालाबो का पुनर्जीवन योजना के तहत कायाकल्प किया जाएगा।
बता दें कि गोंदिया जिले में 1 हजार 786 मामा तालाबो का निर्माण किया गया है। जिसकी सिंचाई क्षमता 41 हजार 968 हेक्टेयर है। जिनमें से 100 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता के 1 हजार 748 तालाब है और 100 हेक्टेयर से अधिक सिंचाई क्षमता वाले 38 मामा तालाब है। बारिश व तालाबो के पानी की सिंचाई से जिले में लगभग 2 लाख हेक्टेयर पर खरीफ फसल लगाई जाती है। इसलिए जिले को धान के कटोरे के रूप में जाना जाता है। लेकिन समय-समय पर मामा तालाबो की देखभाल तथा मरम्मत नहीं होने के कारण अनेक तालाब समतल हो चुके है। जिससे बारिश का मौसम समाप्त होते ही 3 से 4 माह में ही तालाब सूख जाते है। तालाबो की मरम्मत व देखभाल नहीं होने के कारण मामा तालाबो का अस्तित्व ही खतरे में आ गया है। बताया गया है कि जिले के 324 तालाबो की मरम्मत करना बहुत ही जरूरी हो गया है। इन तालाबो की मरम्मत के लिए सिंचाई विभाग ने शासन के समक्ष 57 करोड़ रूपए की डिमांड भी की है। उपरोक्त डिमांड मंजूर तो नहीं हुई लेकिन शासन ने एक नई योजना तैयार की है उस योजना का नाम मामा तालाब पुनर्जीवन योजना है। इस योजना के तहत आवश्यक मामा तालाबो की मरम्मत कर उन्हे पुनर्जीवित किया जाएगा। इस तरह की योजना का पत्र भी सिंचाई विभाग को प्राप्त हो चुका है। अब इस योजना से आस जग गई कि जिले के मामा तालाब पुनर्जीवित हो सकेगे।
पुनर्जीवित करने की योजना क्रियान्वित
मामा तालाबो की मरम्मत करने के लिए सिंचाई विभाग की ओर से निधि की मांग की गई थी लेकिन शासन ने मामा तालाब पुनर्जीवित योजना क्रियान्वित की है। इस योजना के तहत चरणबद्ध तरीके से मामा तालाबो को पुनर्जीवित करने का काम किया जाएगा।
- जी.बिसेन, अभियंता, सिंचाई विभाग, जिप, गोंदिया
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