पिंडकेपार (गोरेगांव) में दिखा दुर्लभ पीला पलाश*

              सारस एक्सप्रेस 
अलग-अलग नामों से पुकारे जाने वाले सुर्ख केसरी लाल रंग की आभा वाले पलाश के बारे में हर किसी को जानकारी है। परंतु बहुत ही कम लोग जानते हैं कि केसरी लाल रंग के पलाश के साथ पीले रंग वाला पलाश भी गोंदिया जिले में मिलता है। जैव विविधता से समृद्ध  गोरेगांव वन क्षेत्र से सटे खेत परिसर में दुर्लभ प्रजाति का एक पीला पलाश देखा गया है। जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 

पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार दुर्लभ प्रजातिका पीला पलाश कई हजार पेड़ों के बीच  पाया जाता है। पीले पलाश के फूलों का औषधीय महत्त्व भी है ,वहीं इन फूलों से प्राकृतिक रंग भी बनाए जाते हैं।
गोरेगांव से आठ किमी दूर पिंडकेपार ग्राम पंचायत के  सड़क किनारे भूमेश रामनाथ शहारे के खेत में लाल केसरी फूलो के पलाश के पेड़ो के साथ एक पीला पलाश छिपा हुआ है। गौर से देखने के बाद ही दिखाई देता है। जिसपर पीले रंग के फूल खिले हुए है। ग्रामीणों को फूलों का यह आकर्षक नज़ारा तब नजर आया जब होली उत्सव के लिए पलास के फूलो का रंग बनाने के लिए फूलो को संकलित करने गए तब यह दुर्लभ पेड़ दिखाई दिया। अब इस दुर्लभ पेड़ को हर कोई अपने कैमरे में कैद कर रहे है। 
 *फूलों की चाय शरीर के लिए ठंडक* 
कुछ ग्रामीणों का कहना है कि गर्मी के मौसम में औषधि  गुणों से संपन्न पलाश के फूलों की चाय पीने से शरीर में ठंडक पहुंचती है। जिससे शरीर में गर्मी का एहसास नहीं होता । अभी भी अनेक जानकार नागरिक  गर्मी के मौसम में पलाश के  फूलों का उपयोग चाय में करते हैं।

 👉 *पलाश के फूलों के रंगो से खेली जाती है होली* 
ग्रामीण क्षेत्रों में पलाश के पेड़ बड़े पैमाने पर लगे हुए हैं। होली के पूर्व पेड़ फूलों से खिल जाते हैं । वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र के खेत कल्याण फूलों से सजे हुए हैं। होली उत्सव मनाने के लिए रंग और गुलालों का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है ।लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक पलाश के फूलों का रंग तैयार कर होली खेली जाती हैं। होली उत्सव के 10 दिन पूर्व से ही पलाश के फूलों को संकलित कर उसे सुखाया जाता है।  उसके बाद उसेपानी में गीला किया जाता है , उसके बाद फूलो से रंग निकाला जाता है । यह रंग प्राकृतिक होने से किसी भी प्रकार का  नुकसान नहीं पहुंचता। 
 👉 *दुर्लभ पीले पलाश का संरक्षण करना जरूरी*
 गोंदिया जिले के जंगलों तथा खेतों में बड़े पैमाने पर पलाश के पेड़ पाए जाते हैं लेकिन हजारों में से एक पेड़ ऐसा भी दिखाई देता है जिस पेड़ पर पीले व सफेद रंग के फूल लगे होते हैं। यह पेड़ दुर्लभ होने से इन पेड़ों का संरक्षण करना जरूरी हो गया है।  इस ओर वन विभाग तथा जिला प्रशासन द्वारा ध्यान देकर ऐसे पेड़ों की खोज कर उन पेड़ो का संरक्षण व संवर्धन करना चाहिए । इस तरह की मांग भी ग्रामीणों द्वारा की जा रही है।